धर्म, जाति आदि के आधार पर नफरत फैलानेे व आपसी सौैहार्द बिगाड़ने भारत में गंभीर अपराध है और इसके लिये कड़ी सजा का प्रावधान है। इन अपराधों में भारतीय दंड संहिता की धारा 153क, 153ख, 295क तथा 505 के अपराध शामिल हैै। चुनाव के सम्बन्ध में ऐसा करना लोक प्रतिनिधि अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध भी है। आदर्श चुनाव आचरण संहिता में भी इसका निषेेध किया गया हैै।
भारतीय दंड संहिता केे अन्तर्गत दंडनीय अपराध
धर्म, जाति आदि के आधार पर नफरत फैलानेे व आपसी सौैहार्द बिगाड़ने को रोेकने के लिये भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत प्रावधान किये गये है। इसमें दंडनीय सम्बन्धित अपराध निम्न हैः-
1- धर्म, जाति आदि के आधार पर नफरत फैलाने वाला कार्य करना (धारा 153ए) भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए केे अन्तर्गत निम्न कार्य तीन वर्ष तक कह जेल की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडनीय हैै। धारा 153ए (2) के अनुसार धार्मिक कार्य के लिये एकत्र जमाव में करेेगा तो वह पांच वर्ष तक की सजा औैर जुर्मानेे सेे दंडित किया जायेगा। धारा 153ए(1) में उल्लेेखित दंडनीय कार्य निम्न हैः-
क- समुदायों के बीच असौैहाद्र ;कदींतउवतलद्ध या शत्रुता, नफरत की भावनाये फैलाना या उसका प्र्रयत्न करना:- इस अपराध के तत्व है:-
(1) किसी व्यक्ति द्वारा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशी या याकाई या प्रादेशिक समूहो, जातियों या समुदायोें के बीच असौहाद्र अथवा शत्रुता, घृृणा या वैैमनस्य की भावनायें फैलाना या इसका प्र्रयास करना
(2) ऐसा कार्य, मूलवंश, जन्म स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर या अन्य किसी भी आधार पर किया जाये।
ख- सौहार्द्र बनेे रहनेे पर प्रतिकूल प्र्रभाव डालने वाला कार्य:- इसके निम्न तथ्य है (1) कोई ऐसा कार्य करना जो समुदायों के बीच सौैहाद्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला हैै
(2) इससे लोेक प्रशान्ति में विध्व डालता है या
(3) इससे लोक प्रशान्ति में विध्व पड़ने की संभावना है
(4) ऐेसा कार्य विभिन्न धार्मिक , मूलवंशीय, भाषाई या प्रावेशिक सहक्षेे या जातियोें या समुदायोें के बीच सौैहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला हैै।
ग- समुदाय के विरूद्ध हिंसा के लिये अभ्यास, आन्दोलन, कवायद या क्रियाकलाप:- इस अपराध के निम्न तत्व हैैः-
़(1) कोई ऐेसा अभ्यास, आन्दोलन, कवायद (कदपमस) या अन्य वैैसा ही क्रिया कलाप करना
(2) इस आशय संचालित करना कि ऐसेे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रावेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरूद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोेग करें या इसके लिये प्रशिक्षित किये जायेंगे।
(3) ऐेसे क्रियाकलाप में भाग लेना कि सम्बन्धित के विरूद्ध हिंसा का प्र्रयोग करनेे या करने के लिये प्रशिक्षित किये जायेंगे।
(4) ऐसे क्रियाकलाप से ऐसे समुदाय के सदस्यों के बीख्च, चाहे किसी भी कारण से भय या संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होने की संभावना है।
2- जलूस में हथियार ले जानेे, सामूहिक प्रशिक्षण का आयोजन करना व भाग लेना (धारा 153ए) भारतीय दंड सहिता की धारा 153एए के अन्तर्गत आदेश के उल्लंघन में किसी जुलूस में जानबूझकर हथियार ले जाना या सामूहिक ड्रिल या सामूहिक प्रशिक्षण का हथियार सहित जानबूझकर संचालन या आयोजन करना या उसमें भाग लेने पर छः माह तक की सजा और दो हजार रूपये तक के जुर्माने से दंडित किया जायेगा।
इस अपराध के लिये हथियार में अग्नि शस्त्र, (बंदूक, रायफल आदि) के अतिरिक्त नुकीली धार वाले हथियार, लटठी, डंडा और छड़ी भी शामिल हैै।
आदेश के उल्लंघन का अर्थ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144ए केे अन्तर्गत आदेश केे उल्लंघन से हैै। धारा 144 के अन्तर्गत को जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार या उसके अधिकृत अधिकारी ऐसा आदेश देने की शक्ति है।
3- राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिककूल प्रभाव डालने वालेे लांछन आदि भारतीय दंड संहिता की धारा 153बी के अन्तर्गत बोले गए, या लिखेे गये शब्दोें द्वारा या यंकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्य प्रकार से निम्न में से कोई कार्य करनेे पर तीन वर्ष तक की कारावास की सजा या जुर्माने या दोनों की सजा होगी। यदि ऐसे कार्य किसी उपासना स्थल में या धार्मिक उपासना या धार्मिक कार्य के लिये किसी जभाव में करेगा तो पांच वर्ष तक की सजा और जुर्माने से दंडित किया जायेगा। धारा 153बी (1) में उल्लेखित दंडनीय कार्य निम्न हैः-
(क)- राष्ट्रीय अखण्डता के प्रतिकूल लांछन इसके निम्न तत्व है:-
(1) ऐसा कोई लांछन लगाना, या प्रकाशित करना
(2) जिससे किसी वर्ग केे व्यक्ति जो किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रावेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य है विधि द्वारा स्थापित भारत में संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा नहीं रख सकते या
भारत की प्रमुखता और अखण्डता की मर्यादा नहीं बनाए रख सकते ।
(ख)- भारतीय नागरिक केे अधिकार सेे वंछित करने की प्राख्यान, परामर्श, सलाह, प्रचार करना या प्रकाशित करना – इसके निम्न तत्व हैः-
(1) यह प्राख्यान ;ंेेमतजेद्ध करेगा, परामर्श देगा ;ंकदनमतद्ध सलाह देेगा ;ंकदपमतद्ध प्रचार करेगा ;चतवचवहंजमतद्ध या प्रकाशित करेेगा।
(2) किसी वर्ग के व्यक्तियोें को इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रावेेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य के सदस्य है,
(3) भारत के नागरिक के रूप में उनके अधिकार न दिये गये या उनमें वंचित किया जाए।
ग- आनामंजस्य अथवा शत्रुता, घृणा या वैैभनस्य की भावनायें उत्पन्न करना: इसके निम्न तत्व हैैः-
(1) किसी वर्ग के व्यक्तियों की बाध्यता के सम्बन्ध में इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रावेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैै
(2) कोई प्रारख्यान करेेगा, परामर्श देेगा, अभिभाव करेगा या अपील करेेगा या प्रकाशित करेेगा
(3) इससे ऐसे सदस्यों तथा अन्य व्यक्तियोें के बीच असामंजस्य अथवा शत्रुता या घृणा या वैयवस्य की भावनाएं उत्पन्न होती हैै या उत्पन्न की संभावना है।
4-धर्म का अपमान करने के आशय से अपासना स्थल को नुकसान – भारतीय दंड संहिता की धारा 295 के अन्तर्गत किसी धर्म केे अपमान करने के आशय से किसी उपासना स्थल या किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गयी किसी वस्तु कोे नष्ट, नुकसान ग्रस्त या अपवित्र करनेे पर दो वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जायेगा। इस अपराध के निम्न तत्व हैैः-
(1) किसी उपासना स्थान को या व्यक्तियों केे किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु
(2) उक्त स्थान या वस्तु को नष्ट, नुकसान या अपवित्र करना
ं(3) इस आशय से कि किसी वर्ग के धर्म का इसके द्वारा अपमान किया जाए या
(4) यह सम्भव जानते हुये करेगा कि व्यक्तियों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को अपने धर्म के प्रति अपमान समझेेगा।
5- धार्मिक भावनाओें को नुकसान पहुंचानेे वाले कार्य करना: भारतीय दंड संहिता ककी धारा 294ए के अन्तर्गत धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिये कोई कार्य करने पर तीन वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनोें की सजा होगी। इस अपराध के निम्न तत्व हैै:-
(1) भारत के नागरिकों केे किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करनेे केे लिए
(2) विदेषपूर्व इस आशय से कि उस वर्ग केे धर्म या धार्मिक विश्वासोें का अपमान करें
(3) उच्चारित या लिखित शब्दोें द्वारा या संकेतों द्वारा या दृशवासों द्वारा या अन्य प्रकार से करना या
(4) इसका प्रयत्न करना
6- धार्मिक जमाव में विध्न करना: भारतीय दंड संहिता की धारा 296 के अन्तर्गत धार्मिक जमाव में विध्न डालने पर एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकेगी।
(1) धार्मिक उपासना या धार्मिक संस्कारों में वैैध रूप से लगे हुये किसी जमाव में
(2) जानबूझकर विद्यन पारित करना है
7- कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना: भारतीय दंड संहिता की धारा 297 के अन्तर्गत कब्रिस्तान, अन्तयोष्टि क्रियाओें के निर्धारित स्थान में अतिचार ;ज्मंचमतद्ध करने पर एक वर्ष तक की जेल की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
इस अपराध के तत्व निम्न हैैः-
(1) किसी उपासना स्थान में या किसी कब्रिस्तान पर या अत्योष्टि क्रियाओं के लिए या मृतकों के अवशेषों के लिए निक्षेप स्थान के रूप में पृथा रखे गये किसी स्थान में
़(2) अतिचार या किसी मानव शव की अवेहलना या अत्योष्टि संस्कारों के लिए एकत्रित किन्ही व्यक्तियों को विद्यन करना
(3) इस आशय से कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेेस पहंुचाए या किसी व्यक्ति केे धर्म का अपमान करें या
(4) यह सम्भाज्य जानते हुए करेगा कि उनके द्वारा किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी या किसी के धर्म का अपमान होगा।
8- धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुुंचाने के लिये शब्द उच्चारित करना: ;न्जजनतल तमइद्ध भारतीय दंड संहित की धारा 298 के अन्तर्गत किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहंुचाने के आशय से उनकी श्रवण गोचरता में कोई शब्द उच्चरित करने पर एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनोें की सजा हो सकती हैै।
इस अपराध के तत्व निम्न हैैः-
(1) किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने केे वियर्शित ;कमसपइमतंजमद्ध आशय से
(2) उसकी श्रवण गोचरता में कोई शब्द उच्चरित करना या कोई ध्वनि करना या
(3) उसकी हरिगोचरता में कोर्य अंगविक्षेय करना या कोई वस्तु रखना
9- लोक रिष्टि कारक वन्तव्य: ;ैजंजंउंजत बवदकनबजपदह जव चनसइम्र उेमीेवद्धि भारतीय दंड संहिता की धारा 505(1) के अन्तर्गत लोक रिष्टि कारक कथन जनत्रुति ;तममउवनतद्ध रिपोर्ट को बनाये, प्रकाशित करने या परिचारित्र ;ब्पदंसमकमद्ध करने पर तीन वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनोें की सजा हो सकती है।
इस अपराध के लिये निम्न कार्य होना चाहिये:-
(1) किसी कथन, जनत्रुति या रिपोर्ट
(2) सूचना, प्रकाशित करना या परिचालित करना
(3) निम्न में से किसी भी आशय से उक्त कार्य करना:-
(क) जिससे यह संभावना हो कि भारत की सेना, नौैसेना या वायुसेना का कोई आॅफिसर, नाविक या वायु सैनिक विद्रोह कोर या अन्यथा व अपनेे उस नाते के कर्तव्य की अवहेलना करे या उनका पालन में सफल रहे
(ख) जिससे यह संभावना हो कि लोेेक या लोक के किसी भाग को ऐसा भय या संत्रास हो जिससे कोई व्यक्ति राज्य के विरूद्ध या लोेक प्रशान्ति के विरूद्ध अपराध करनेे के लिए उत्प्ररित होः-
(ग) जिससे यह सम्भावना हो कि उससे व्यक्तियों का कोई वर्ग या समुदाय किसी दूसरे वर्ग कका समुदाय के विरूद्ध अपराध करने के लिये उकसाया जाये
9- विभिन्न वर्गों में शत्रुता, घृणा या वैैमनस्य पैैदा करनेे या फैलाने वाले कथन: भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) के अन्तर्गत विभिन्न वर्गों में शत्रुता, घृणा वैैमनस्य ;पससदससद्ध पैैदा करने या फैलानेे वालेे कथन करनेे पर तीन वर्ष तक की जेल की सजा या जुर्माना या दोनोें सजा हो सकती हैै।
यदि यह अपराध किसी पृथा के स्थान या किसी धार्मिक पूजा या धार्मिक कार्य के जमाव में किया जाये तो पांच वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
इस अपराध के लिये निम्न कार्य होना चाहिये:-
(1) कोई जनश्रुति ;तममउनतमद्ध सर संत्रासकारी समाचार ;ंसंेपपर दवमेद्ध वाले किसी कथन या रिपोर्ट
(़2) रंचना, प्रकाशित करना या परिचालित करना ;बपदमदसंजमद्ध
(3) निम्न आशय से उक्त कार्य करना:-
(क) जिससे यह संभावना हो कि विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय भाषाई या प्रावेशिन समूहो या जातियोें या समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या पैैमनस्य की भावनाएं पैैदा करने या फैलाने को
(ख) धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारोें पर या अन्य किसी भी आधार पर
अपराध की प्रकृति: आपसी सौैहाद्र बिगाड़नेे व नफरत फैलाने वाले उक्त अपराधों में अधिकतर गंभीरा प्रवृति हैै तथा अतमानतीय अपराध है जिसमें गिरफ्तारी पर जमानत न्यायालय द्वारा ही समुचिचत आधारोें पर ही दी जा सकती हैै। इनका विवरण निम्न हैै।
गिरफ्तारी व जांच: उक्त अपराधों में क्रमांक 8 (धारा 298) तथा क्रमांक 9 (धारा 505) पर उल्लेखित अपराधों को छोड़कर समस्त अपराध संज्ञेय ;ब्वहदहमकसमद्ध हैै जिसमें बिना न्यायालय के आदेश के मुकदमा दर्ज करके हो सकती हैै तथा बिना न्यायालय के वारंट के गिरफ्तारी हो सकती है।
जमानत: उक्त अपराधों में केवल क्रमांक 6 (धारा 296) क्रमांक 7(धारा 297) तथा क्रमांक 8 (धारा 298) के अपराध ही जमानतीय ;ठंसंसेमद्ध श्रेणी की हैै जिसमें गिरफ्तारी के बाद जमानत थाने में या न्यायालय से आसानी से हो सकती हैै। अन्य सभी अपराध अमानतीय ;छवद ठंसंसेमद्ध हैै जिसमें जमानत न्यायालय से समुचित आधारों पर ही मिल सकती हैै।
विचारण: उक्त अपराधों में क्रमांक 1 (धारा 153ए) क्रमांक 3 (धारा 153बी), क्रमांक 4 (धारा 295ए(1) क्रमांक 5 (धारा 295ए(2) का विचारण केवल प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता हैै। अन्य सभी अपराधों के मुकदमों का विचारण किसी भी मजिस्टेªट द्वारा किया जा सकता है।