स्थानीय लाॅक डाउन अधिकारियोें द्वारा यह कह कर लगाया जा रहा है कि इससे कोरोना वायरस की चैैन रूकेगी जबकि इससे चैैन रूकने के स्थान पर बढ़ने की अधिक संभावना हैः-
1- लाॅक डाउन में सभी अपने घरों में बंद नहीं रहते। इसके चलते कन्फर्म मरीजों के वास्तविक सम्पर्क सहित विभिन्न लोग अपने अपने क्षेत्रों में संक्रमण फैलाते रहते हैं। लाॅक डाउन लगाकर प्रशासन व अधिकारियों का ध्यान कन्फर्म मरीजोें के सम्पर्क ट्रेसिंग से हट जाता है। स्थििति तो यहां तक है कि विभिन्न जिम्मेदार अधिकारियोें को भारत सरकार/उत्तराखंड सरकार की एस.ओ.पी. में परिभाषित कन्ट्रैक्ट की परिभाषा का भी ज्ञान नहीं हैै।
2- लाॅक डाउन में आवश्यक वस्तुओें की दुकाने, आवश्यक सेवायें, सरकारी व बैैक कर्मचारी, पुलिस सेवा तथा पुलिस सेवा करने वाले एस.पी.ओ. तथा होमगार्ड, प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारी बड़ेे स्तर पर अपनी सेवायेें देते हैं। इनके भी संक्रमित होने के मामले सामने आये है। इसलिये इनके द्वारा संक्रमण फैलाने से इंकार नहीं किया जा सकता हैै।
3- बहुत लम्बे समय तक स्थानीय लाॅक डाउन हो नहीं सकता। जैसे ही वह खुलेगा तो फिर संक्रमण की संभानायें हो जायेगी। इसलिये इसका कोई स्थायी लाभ नहीं होता।
4- स्थानीय लाॅक डाउन से बचने के लिये लक्षण वाले व्यक्तियोें सहित विभिन्न लोगोें के अन्य क्षेत्रों में चले जाने की संभावनायें रहती है जिससे अन्य क्षेत्रों में भी संक्रमण फैलने की संभावनायें रहती है।
5- स्थानीय लाॅक डाउन में प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारियों का ध्यान कन्फर्म केसों के कन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग तथा स्क्रीनिंग से हट जाता है। इसलिये संक्रमण समाप्त नहीं होता बल्कि फैलता रहता हैै।
6- घनी आबादी व छोटे घरों के चलते लाॅक डाउन में बाजार व कारोेबार बंद होने के चलते लोग गली मौैहल्लों में बिना सुरक्षा उपायों के झुण्ड बनाकर खड़े देखे जाते हैै। इससे कोरोना संक्रमण की अधिक संभावनायेेें रहती है।
7- प्रथम लाॅक डाउन वायरस की कड़ी तोड़ने केे लिये किया गया था। इससे भी सरकार लक्षणों वालेे रोगियों की सही स्क्रीनिंग करनेे में असफल रही। इसलिये ही उसका भी कोई लाभ नहीं मिला। इसी प्रकार स्थानीय लाॅक डाउन में भी होता हैै। इसलिये बिना पूर्ण स्क्रीनिंग जो संभव नहीं है, के वायरस की कड़ी को नहीं तोड़ा जा सकता हैै।
8- विभिन्न घरोें में अत्यंत कम स्थान के चलते घरोें के अन्दर भी एक से दूसरेे को संक्रमित होने की लाॅक डाउन में संभावनायें बढ़ जाती है। जबकि अन्य दिनोें में घर के पुरूष केवल सोने के लिये ही घर में आते हैै वह परिवार के दूसरे सदस्योें के अधिक सम्पर्क में नहीं रहते। इसलिये संक्रमण की संभावनायेें कम रहती हैै।
9- स्थानीय लाॅक डाउन परं लोगों को क्षेत्र में कम्युनिटी स्प्रेड हो गया है, लगता है । इससे भय पैैदा हो जाता हैै जिससे मानसिक अवसाद तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। साथ ही समय पर समुचित स्वास्थ्य सेवायें न मिलने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
10-स्थानीय लाॅक डाउन में गरीब व कम संसाधनों वाले व्यक्तियों के सामने रोजी रोटी तथा कुपोषण व बीमारी का खतरा उत्पन्न हो जाता है। जिसकी भरपायी संभव नहीं हैै।