लाॅक डाउन की व्यवस्थाओं में है इन सुधारों की जरूरत

वर्तमान में लाॅक डाउन में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कुछ क्षेत्रोें में कफ्र्यू से भी अधिक कड़ाई से मनमाने तरीकों से लोगों को घरों में बंद करने का प्रयास कर रहे है तथा आवश्यक वस्तुओं, सेवाओं तथा मेडिकल सेवा में भी अवरोध उत्पन्न कर रहे है इससे कोरोना के अतिरिक्त भूख, कुपोेषण व अन्य बीमारियोें से तुरंत हालत खराब होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इसलिये विभिन्न लोग तत्कालीन कष्टोें को दूर करने के लिये सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रख रहे है। इसलिये लाॅक डाउन में निम्न व्यवस्था सुधार की आवश्यकता है:-
1- आम जनता को लाॅक डाउन व सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझकर जनता के लोगों द्वारा ही लाॅक डाउन लागू कराया जाये। पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की तानाशाही द्वारा नहीं।
2- लाॅक डाउन अवधि में प्रमुख रूप से सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य स्थानोें पर आवाजाही रोेकने पर विशेेष रूप से बल दिया जाये। यह सोशल डिस्टेंसिंग लाॅक डाउन लागू कराने वाले अधिकारियों पुलिस कर्मियों तथा मीडिया, चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों सहित आवश्यक वस्तुओं व सेवायें प्रदान करने वाले लोगों पर भी कड़ाई से लागू हो।
3- आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धता उनके सामान्य समय पर ही उपलब्ध करायी जाये। इन सेवाओं को देने व सेवित व्यक्तियों को आने जाने की छूट दी जाये लेकिल सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर। पुलिस व प्रशासन को ध्यान रखना चाहिये कि आम जनता कैदी नहीं हैं, वह भी कोरोना नियंत्रण को राष्ट्र के सहयोगी हैै, वह भी अपने अधिकारों का बलिदान करके कोरोना के विरूद्ध जंग में सरकार का सहयोग कर रहे है।
4- किसी भी स्थििति में मरीजों को उनकी पसंद के डाक्टरों, क्लीनिकों व नर्सिंग होम तक जाने से नहीं रोका जाना चाहिये। ताकि सही समय पर उन्हें अन्य बीमारियोें से शरीर को अत्यंत नुकसान पहुंचाने व मृत्यु की स्थििति से बचाया जा सके। साथ ही पहले ही कोरोना लक्षणों की पहचान होने से इनके परिवार को भी संक्रमण होने से बचाया जा सके।
5- किसी भी स्थििति में पुलिस के बल प्रयोगे, अपमान करनेे, गाली गलौैच या रास्तों में अवरोध लगाकर बंद करनेे की छूूट नहीं देनी चाहिये। ऐेसे पुलिस कर्मियों को पंजाब के समान ही डय्टी से हटाकर पुलिस लाइन भेजा जाना चाहिये। ऐसे व्यवहार सेे जनता व पुलिस में लुुका छिपी का खेल शुरू हो जाता है और सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं रह पाती। पुलिस का विशेेष जोेर लोगों को घरों में कैद रखने के स्थान पर सोेशल डिस्टेंसिंग व बाहर जानेे सेे लोेगोें को रोकने पर होना चाहिये। संदिग्ध मरीजों को जरूर उनके घरों में बंद रखकर या सरकारी केन्द्रों में क्वारंटाइन कराया जा सकता है। घर के अन्दर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिये।
6- आवाजाही कम करनेे केे लिये आवश्यक वस्तुओें की होम डिलीवरी को इन्हीं दुकानदारो को प्रोत्साहित किया जाये लेकिन केवल कुछ दुकानदारोें को ही आवश्यक वस्तुयें बेचने या सेवायें देने को अधिकृत करना दुकानदारों तथा उपभोक्ताओं दोनों के मूल अधिकार व मानवाधिकार का हनन हैै तथा भ्रष्टाचार की संभावनाआंे वाला हैै तथा दुकानदारोें के पास रखे आवश्यक वस्तुओं के स्टाक को बर्बाद करने वाला हैैैै। देखा गया हैै जिन क्षेत्रों में ऐसी तानाशाही पूर्ण व्यवस्था लागू की गयी हैै वहां पास आदि लेने के लिये तथा उन पर भीड़ लगने पर सोशल डिस्टेंसिंग का खुलकर उल्लंघन हुआ है। इन दुकानदारों ने मौके का गलत फायदा उठाकर अधिक रेेट भी जनता सेे वसूले है औैर जनता को उसकी पसंद का सामान नहीं मिला है।
7- आवश्यक कार्यों सेे अपनेे घरों से निकलने व वापस आनेे वालों को किसी भी परिस्थिति में न रोका जाये लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग में कोई छूट न दी जाये।
8- यह सच हैै कि कोरोेना संक्रमित होकर भविष्य में मरनेे की अपेेक्षा भूख, बीमारी व कुपोषण के शिकार होकर तुरन्त मरनेे सेे बचने को व्यक्ति अधिक वरीयता देगा। इसलियेे यदि भूख, बीमारी व कुपोेषण से उसके जीवन पर खतरा होगा तो वह किसी लाॅक डाउन या प्रतिबंध का पालन नहीं करेगा। इसलिये सरकार की ओर से यह सुनिश्चित कराया जाना चाहिये कि कोई भी व्यक्ति भुखमरी, बीमारी व कुपोषण से मृत्युु का शिकार न हो।
9 प्रत्येेक व्यक्ति का यह कर्तव्य हैै कि सुनिश्चित करें कि उसके परिचितों व पड़ोस या निकट कोई भूखा न सोये। उसे ज्ञात होने पर वह बिना दिखावे के उसकी मद्द करें। दिखावे के लिये भूखोें के सम्मान से खिलवाड़ करने वाले समाज विरोधी तथा बेशर्म लोग है इनकी पहचान करके इनकी आलोचना की जानी चाहिये।
10- कोई भी पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारी किसी भी पुण्य कार्य के लिये किसी भी प्राइवेट व्यक्ति की चन्दा या सहायता नहीं ले सकता है। यह न केवल सेवा कदाचार हैै बल्कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम केे अन्तर्गत दंडनीय अपराध भी हैै। इसलिये पुलिस व सरकारी अधिकारियोें को केवल अपने सरकारी कर्तव्यों पर ईमानदारी से ध्यान देना चाहिये औैर जो गरीबों की मद्द करना चाहता हैै उसमें कोेई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये। इसके लियेे सरकारी वाहनोें आदि का तथा ड्यूटी समय का प्रयोग भी गैर कानूनी है।
11- जोे प्रवासी मजदूर अपने घरोें को लौटना चाहते हैै उनके घरों को लौैटने की व्यवस्था विशेष ट्रेनें व बसें चलाकर करनी चाहियेे औैर अपने घरों को पहुंचने पर या जहां तक वह पहुंच गये हैं वहीं रोक कर उन्हें 14 दिन होम क्वारंटाइन की व्यवस्था की जानी चाहिये।
12- कोरोना के कारण बड़े शहरों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के वापस अपने मूल प्रदेशोें में स्थिित पलायन करने को इन प्रदेशों को रिवर्स पलायन के रूप में लेते हुये वहीं पर इनके स्थायी रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिये। इससे जहां उत्तराखंड सहित विभिन्न क्षेत्रों में जनविहीन स्थानोें को पुनः बसाने की पहल होगी तथा बड़े शहरोें के प्रदूषण व जनदबाव में कमी आयेेगी। जहां तक बडेे़ शहरोें में स्थित कारखानों का प्रश्न हैै उन्हेें मजदूरोें की कमी केे चलते अन्य स्थानोें को स्थानंतरित होना पड़ेगा देश का समग्र विकास शुरू होगा औैर बड़े शहरोें को प्रदूषण तथा भीड़ से मुुक्ति मिलेगी और मजदूरोें को अधिक मजदूरी मिलने के अवसर मिलेंगे। जिससे उनकी गरीबी दूर होगी तथा जीवन स्तर में सुधार आयेगा।

This Post Has One Comment

  1. MOHAMMAD ZEESHAN

    सहमत

Leave a Reply